काशी में करोत की कहानी
नमस्कार दोस्तों,नकली धर्म गुरुओं द्वारा फहलाई गई अफवाह
आज से 600 वर्ष पहले काशी शहर में कबीर साहेब जी प्रकट हुए थे ।कबीर साहेब जी किसी भी जाति धर्म को नही मानते थे सभी धर्मों को समान समझते थे।
जीव हमारी जाति हैं, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।
हिन्दू द्वारा के ब्राम्हणों ने वहाँ के लोगों को भरम में डाल रखा था ,वे कहते थे कि अगर काशी में मरता है तो सीधा स्वर्ग जाता हैं और अगर मगहर में मरता है तो वो नरक में जाता हैं और गधे की योनि भोगनी पड़ती हैं ।
उस समय काशी बनारस में स्वयं कबीर परमात्मा आए हुए थे एक तत्वदर्शी संत की भूमिका करने उस समय कबीर साहेब जी ने कहा कि पूण्य कर्मी आत्मा सतभक्ति करने के पश्चात कहि पर भी शरीर छोड़े या म्रत्यु को प्राप्त हो वह अपनी भक्ति की कमाई के अनुसार अपने ईष्ट देव के पास चला जाता है। लेकिन दुष्ट कर्म करने वाला प्राणी कहि भी मरे वो चाहे काशी या मगहर सीधा नरक ही जाता हैं।
मगहर में कबीर मंदिर-मस्जिद |
यह बात पंडितों के गले नही उतर रही थी ,तब कबीर परमेश्वर ने कहा म मगहर में शरीर छोडूंगा ओर पंडितों तुम मेरे साथ चलो अपनी पोथी पतरे साथ लेकर चलो ओर बाद में बता देना यहाँ पर उपस्थित लोगों को की म कहा जाऊँगा ईमानदारी से बताना।कबीर साहेब जी कह रहे कि जो म साधना कर रहा हु वह एक सत साधना हैं यह तो परमात्मा अपनी लीला करने आए थे ।
काशी में पंडितों ने लोगो को बरम में डाल रखा था कि जो काशी में मरता हैं वह सीधा स्वर्ग जाता हैं तो वहाँ के भोले भाले बुजर्ग लोक उनके बहकावे में आ गए ओर अपने बेटों को कहा कि हमे 40,50 रुपए दे दो हमे काशी में जाकर मरणा हैं क्योंकि पंडितों ने एक अफवाह फ्लाई की जो शीघ्र मरना चाहता हैं उनके लिए नरक से एक करोत आती हैं उस मे सिर रख कर काट देने से वो सीधा स्वर्ग को जाएगा।
यह तो हमारे पंडितों द्वारा अपना पैसा कमाने का धंधा चला रखा हैं।