Wednesday, June 24, 2020

काशी में करोंत की कथा

काशी में करोत की कहानी

नमस्कार दोस्तों,

नकली धर्म गुरुओं द्वारा फहलाई गई अफवाह
आज से 600 वर्ष पहले काशी शहर में कबीर साहेब जी प्रकट हुए थे ।कबीर साहेब जी किसी भी जाति धर्म को नही मानते थे सभी धर्मों को समान समझते थे।
जीव हमारी जाति हैं, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नही कोई न्यारा।।

हिन्दू द्वारा के ब्राम्हणों ने वहाँ के लोगों को भरम में डाल रखा था ,वे कहते थे कि अगर काशी में मरता है तो सीधा स्वर्ग जाता हैं और अगर मगहर में मरता है तो वो नरक में जाता हैं और गधे की योनि भोगनी पड़ती हैं ।
उस समय काशी बनारस में स्वयं कबीर  परमात्मा आए हुए थे एक तत्वदर्शी संत  की भूमिका करने  उस समय कबीर साहेब जी ने कहा कि पूण्य कर्मी आत्मा सतभक्ति करने के पश्चात कहि पर भी शरीर छोड़े या म्रत्यु को प्राप्त हो वह अपनी भक्ति  की कमाई के अनुसार अपने ईष्ट देव के पास चला जाता है। लेकिन दुष्ट कर्म करने वाला प्राणी कहि भी मरे वो चाहे काशी या मगहर सीधा नरक ही जाता हैं।
Kashi karoth ki kathh, काशी कारोंत की कथा
मगहर में कबीर मंदिर-मस्जिद

यह बात पंडितों के गले नही उतर रही थी ,तब कबीर परमेश्वर ने कहा म मगहर में शरीर छोडूंगा ओर पंडितों तुम मेरे साथ चलो अपनी  पोथी पतरे साथ लेकर चलो ओर बाद में बता देना यहाँ पर उपस्थित लोगों को की म कहा जाऊँगा  ईमानदारी से बताना।कबीर साहेब जी कह रहे कि जो म साधना कर रहा हु वह एक सत साधना हैं यह तो परमात्मा अपनी लीला करने आए थे ।

काशी में पंडितों ने लोगो को बरम में डाल रखा था कि जो काशी में मरता हैं वह सीधा स्वर्ग जाता हैं तो वहाँ के भोले भाले बुजर्ग लोक उनके बहकावे में आ गए ओर अपने बेटों को कहा कि हमे 40,50 रुपए दे दो हमे काशी में जाकर मरणा हैं क्योंकि पंडितों ने एक अफवाह फ्लाई की जो शीघ्र मरना चाहता हैं उनके लिए नरक से एक करोत आती हैं उस मे सिर रख कर काट देने से वो सीधा स्वर्ग को जाएगा।
यह तो हमारे पंडितों द्वारा अपना पैसा कमाने का धंधा चला रखा हैं।

Wednesday, June 17, 2020

Krishna janmashtami

आओ दोस्तों जन्माष्टमी के बारे में जानते हैं

नमस्कार

जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।
Krishna janmashtmi
Krishna-janmashtmi

कृष्ण जी पूर्ण परमात्मा नही हैं पूर्ण परमात्मा तो कबीर साहेब जी हैं ,जिसका वर्णन भागवत गीता में प्रमाण हैं कि पूर्ण परमात्मा श्री कृष्ण जी नही हैं वो तो कोई ओर ही हैं।


भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

जो पूर्ण परमात्मा होता हैं उसका जन्म दिवस नही मनाया जाता है उसका तो प्रकट दिवस मनाया जाता हैं कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं इनका जेष्ठ की पूर्णिमा को प्रकट दिवस मनाया जाता हैं।

श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, जो कि बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव सहित काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने देवकी के कृष्ण से पहले के 7 बच्चों को मार डाला। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।

जो पूर्ण परमात्मा होता हैं वह न तो किसी माता की कोख से जन्म लेता हैं ना ही उसकी कभी जन्म म्रत्यु होती हैं वो पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी हैं जो चारों युगों सशरीर आते हैं और सशरीर चले जाते हैं उनकी परवरिश कुवारी गाय के दूध से होती है।
Krishna janmashtmi,kabir is god
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कबीर साहेब जी के अदभुत चमत्कार करना....
कबीर साहेब द्वारा सिकंदर राजा का जलन का रोग ठीक करना 2. ... कबीर परमेश्वर जी के अद्भुत चमत्कार जैसे अकाल से बचाना, सूखी आमी नदी बहाना,  "गगन मंडल से उतरे सतगुरु पुरूष कबीर” जलज माहि पौडन किए, सब पीरन के‌ पीर ... कबीर परमात्मा उबलते तेल के कढ़ाहे में स्वयं ही विराजमान हो गए।
कबीर साहेब के ऊपर  तलवार से हमले किए तब  शेख तकी और उसके गुंडे जाने लगे तो परमात्मा कबीर खड़े हुए उन्हें भूत समझ कर शेख तकि ओर उसके गुंडे भाग गए ... कबीर साहेब जी को मारने के लिए उन्हें खूनी हाथी के आगे बांध कर डाला गया।

कबीर साहेब जी का सतलोक वापसी जाना....
कबीर साहेब का मगहर से सतलोक गमन कबीर साहेब द्वारा मगहर में लीला करना कबीर साहिब आज से लगभग 600 साल पहले जन्म हुआ और वो 120 वर्ष तक  पृथ्वी पर रहकर जाना  सतलोक से  सशरीर पृथ्वी पर प्रकट होते हैं -.. सशरीर चले गए थे कबीर साहिब ने अपने शिष्यों को कहा कि अब हम आज अपने लोक में जाएंगे तब कबीर साहिब एक चादर ओढ़ कर लेट गए और सतलोक चले गए।








Wednesday, June 10, 2020

Holy Bible

पवित्र बाईबल में प्रभु मानव सदृश साकार का प्रमाण


नमस्कार दोस्तों
 कुछ धार्मिक गुरु कहते हैं कि परमात्मा तो निराकरण हैं वह किसी को कभी दर्शन नही देता है,
कुछ गुरु कहते हैं हैं कि अगर परमात्मा पाना हैं तो जंगलो में जाकर घर परिवार बीबी बच्चे छोड़ कर वहा भक्ति साधना करने से परमात्मा मिलते हैं और कुछ गुरुओं के अनुसार परमात्मा समाधि और घोर तपस्या करने से परमात्मा मिलता हैं।
लेकिन पूर्ण गुरु तो वो होता हैं जो सभी धर्मों के शास्त्रों के अनुसार भक्ति बताए।
वो पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज हैं जी सभी धर्मों के शास्त्रों के अनकूल भक्ति बताते हैं पूर्ण परमात्मा की जानकारी भी देते है।

संत रामपाल जी महाराज जी ने पवित्र बाईबलके अनुसार बताया हैं कि परमात्मा साकार है👇👇👇👇👇👇👇


उत्पति विषय में लिखा है कि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। इससे सिद्ध है कि प्रभु भी मनुष्य जैसे शरीर युक्त है तथा छः दिन में सृष्टी रचना करके सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।

पवित्र बाइबिल अय्यूब 36: 5 के अनुसार पूर्ण परमात्मा कौन हैं इसके बारे में बताया गया है।
बाइबल ने भी स्पष्ट किया है की प्रभु का नाम कबीर है।
अनुवाद कर्ताओ नें कबीर की जगह शक्तिशाली व सामर्थ वाला लिख दिया है। वास्तव में परमात्मा का नाम कबीर है। वेदो में, भगवद गीता में, श्री गुरु ग्रंथ साहिब में और कुरान शरीफ में भी परमात्मा का नाम कबीर है।

Thursday, June 4, 2020

Lord kabir

Signs of True Guru

Kabir Parmeshwar Ji revealed the difference between Guru and Satguru and showed the characteristics of the true Guru.

सतगुरु के लक्षण कहु, मधुरे बेन विनोद, चार वेद छः सास्त्र, वो कह अट्ठारह बोध।।


Kabir Sahib Ji described the three Gods in the Gita chapter 15, verses 16-17  Kshar Purush, Akshar Purush, Param Akshar Purush .
That is, Brahma, Parabrahma, the Ultimate Purn Brahm.

Friday, May 29, 2020

Kabir is god

आज हम आप को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी के कबीर प्रकट दिवस (Kabir Sahib Prakat Divas 2020) के बारे में जानकारी देंगे. कबीर प्रकट दिवस 2020 इस वर्ष 05 जून को मनाया जाएगा


कबीर जी पूर्ण परमात्मा हैं जिन्होंने  सृष्टि की रचना की हैं ,6दिन में सृष्टि की रचना की ऒर 7वे दिन तख्त पर जा विराजे।

समाज में तत्वज्ञान के अभाव में श्रद्धालु शंका व्यक्त करते हैं कि कबीर साहेब जी काशी वाला जुलाहा (धाणक) पूर्ण परमात्मा कैसे हो सकता है? लेकिन सत्य तो यही है कि वेदों में कविर्देव यही काशी वाला जुलाहा (धाणक) पूर्ण परमात्मा हैं। श्रद्धालुओं से निवेदन कृपया सच्चाई को समझें.

कबीर साहेब परमात्मा चारों युगों में आते हैं ,कलयुग में प्रकट होना ।

साहेब जी कलयुग में भारत के काशी शहर के लहरतारा तालाब में ज्येष्ठ मास शुक्ल पूर्णमासी विक्रम संवत 1455 (सन् 1398) सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए थे। अगर हम एक कमल के फूल पर छोटे-से पत्थर का टुकड़ा रखे तो नहीं टिक सकता। पर कबीर साहेब जी कमल के फूल पर छोटे से बालक रूप में प्रकट हुए।

सतयुग में कबीर परमेश्वर नीरू नीमा को मिले थे।

Wednesday, May 20, 2020

Human rise

मानव समाज का उद्धार करने वाला  एक ही महान संत हैं वो कौन हैं?
आज कलियुग में भक्त समाज के सामने पूर्ण गुरु की पहचान करना सबसे जटिल प्रश्न बना हुआ है। लेकिन इसका बहुत ही लघु और साधारण–सा उत्तर है कि जो गुरु शास्त्रो के अनुसार भक्ति करता है और अपने अनुयाईयों अर्थात शिष्यों द्वारा करवाता हैं वही पूर्ण संत हैं।

जो भी संत शास्त्रो के अनुसार भक्ति साधना बताता है और भक्त समाज को मार्ग दर्शन करता है तो वह पूर्ण संत है अन्यथा वह भक्त समाज का घोर दुश्मन है जो शास्त्रो के विरूद्ध साधना करवा रहा है। वह इस अनमोल मानव जन्म के साथ खिलवाड़ कर रहा है। ऐसे गुरु या संत को भगवान के दरबार में घोर नरक में उल्टा लटकाया जाएगा।
मनुष्य को अंधविश्वास,आर्थिक, सामाजिक और नशे जैसी हर बुराई से छुटकारा करवाने वाले इस विश्व मे एक ही हैं वो संत रामपाल जी महाराज जी हैं।
इन्होंने मानव के लिए हर बुराई को दुर करने का प्रयास किया हैं और सफल भी हो रहें हैं इनके बारे में जाने क्या क्या मानव समाज के लिए किया है।
इनके शिष्य इन 👇👇👇👇👇सभी चीजों के बहुत खिलाफ हैं।
हुक्का, शराब, बीयर, तम्बाखु, बीड़ी, सिगरेट, हुलास सुंघना, गुटखा, मांस, अण्डा, सुल्फा, अफीम, गांजा और अन्य नशीली चीजों का सेवन तो दूर रहा किसी को नशीली वस्तु लाकर  तक भी नहीं देते  है। बन्दी छोड़ गरीबदास जी महाराज इन सभी नशीली वस्तुओं को बहुत बुरा बताते हुए अपनी वाणी में कहते हैं कि -
सुरापान मद्य मांसाहारी, गमन करै भोगैं पर नारी। सतर जन्म कटत हैं शीशं, साक्षी साहिब है जगदीशं।।
पर द्वारा स्त्री का खोलै, सतर जन्म अंधा होवै डोलै। मदिरा पीवै कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी।।

किसी प्रकार का कोई व्रत नहीं रखते हैं इनके अनुनायी।  न कोई तीर्थ यात्रा  करते , न कोई गंगा स्नान आदि करते, न किसी अन्य धार्मिक स्थल पर स्नानार्थ व दर्शनार्थ जाते  है। किसी मन्दिर व ईष्ट धाम में पूजा व भक्ति के भाव से नहीं जाते यही तो सही बात है कि इस मन्दिर में भगवान है। भगवान कोई पशु तो है नहीं कि उसको पुजारी जी ने मन्दिर में बांध रखा है। भगवान तो कण–कण में व्यापक है। ये सभी साधनाएँ शास्त्रो के विरुद्ध हैं।
इनके शिष्य ऐसे व्यक्ति का झूठा नहीं खाते है जो शराब, मांस, तम्बाखु, अण्डा, बीयर, अफीम, गांजा आदि का सेवन करता हो।
पराई स्त्री को माँ–बेटी–बहन की दृष्टि से देखते हैं, अण्डा व मांस भक्षण व जीव हिंसा नही करते  है। 
विवाह के समय दहेज न लेते हैं और न ही देते हैं इन यह सब  लेना व देना  कुरीति मानते है तथा मानव मात्र की अशांति का कारण है।  जिसने अपने कलेजे की कोर पुत्री को दे दिया फिर बाकी क्या रहा।
कोरोनो महामारी के चल रहे इस समय मे इनके शिष्य मानव उत्थान में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं।भुखों को भोजन और हर जरूरत मंद वस्तु फ्री में दे रहे हैं।

Thursday, May 14, 2020

Education

सरकारी स्कूलों की शिक्षा इतनी कमजोर क्यों हैं।

 हमारे भारत देश मे एक ही कमरे में लगभग 4,5 क्लासे लगती हैं और उन्हें पढ़ाई के बारे मे अच्छा समझाया नही जाता हैं अगर बच्चों की शुरू की नीव ही कमजोर रह  जाती हैं तो ऊपर बढ़कर बच्चे क्या कामयाब हो सकते हैं।
इसी वजह से बच्चों को अपने माता पिता को छोड़कर दूसरे देशों में अच्छी शिक्षा लेने लिए जाना पड़ता हैं ,



अमीर लोग तो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बड़े बड़े हाई मॉडल  स्कूलों  में लागते हैं और जितनी भी फीस मांगते हैं दे देते हैं |

लेकिन गरीब परिवार के बच्चों को तो सरकारी स्कूलों में ही पढ़ना पड़ता हैं, क्योंकि उनके माता पिता के पास ज्यादा पैसा नही होता हैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में  पढ़ने के लिए नही भेज सकते हैं।
सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा दिक्कत तो यह हैं कि एक तो वहाँ पूरे शिक्षक नही होते हैं, अगर किसी स्कूल में शिक्षक पूरे होते हैं तो वे बच्चों को अच्छी शिक्षा नही देते हैं इसी वजह से बच्चे अच्छी पढ़ाई नही कर पाते हैं।
हमारे  शिक्षा मंत्री से विनती हैं कि वो बच्चों की शिक्षा में मूलभूत बदलाव लाए ,सबसे पहले शिक्षा मंत्री को यह सोचना चाहिए कि जो बच्चों को शिक्षा दी जा रही  हैं ,वो उनकी जिंदगी में रोजगार   के लिए काम आती भी हैं या नहीं ,जिससे बच्चा अपने जीवन मे बिना सहारे के आगे बढ़ सकें।
भारत जैसे विकासशील देश में आज के समय शिक्षा धंधेबाजी  हो गई है कोई क्रियेटिविटी नही,कोई एक्टिविटी नही कोई बच्चों को प्रोत्साहित  या रिवॉर्ड नही केवल टेस्ट और एग्जाम  लेने ओर अंत मे एक  रिजल्ट कार्ड  दे कर अपने कर्तव्यों की  पूर्ति कर रहे हैं।
इनकी शिक्षा के रटन्तु  शिक्षा हैं जो बच्चा जितना रटने मैं  माहिर हैं वह उतना ज्यादा होशियार मान लिया जाता हैं।