सरकारी स्कूलों की शिक्षा इतनी कमजोर क्यों हैं।
हमारे भारत देश मे एक ही कमरे में लगभग 4,5 क्लासे लगती हैं और उन्हें पढ़ाई के बारे मे अच्छा समझाया नही जाता हैं अगर बच्चों की शुरू की नीव ही कमजोर रह जाती हैं तो ऊपर बढ़कर बच्चे क्या कामयाब हो सकते हैं।
इसी वजह से बच्चों को अपने माता पिता को छोड़कर दूसरे देशों में अच्छी शिक्षा लेने लिए जाना पड़ता हैं ,
अमीर लोग तो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बड़े बड़े हाई मॉडल स्कूलों में लागते हैं और जितनी भी फीस मांगते हैं दे देते हैं |
लेकिन गरीब परिवार के बच्चों को तो सरकारी स्कूलों में ही पढ़ना पड़ता हैं, क्योंकि उनके माता पिता के पास ज्यादा पैसा नही होता हैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ने के लिए नही भेज सकते हैं।
सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा दिक्कत तो यह हैं कि एक तो वहाँ पूरे शिक्षक नही होते हैं, अगर किसी स्कूल में शिक्षक पूरे होते हैं तो वे बच्चों को अच्छी शिक्षा नही देते हैं इसी वजह से बच्चे अच्छी पढ़ाई नही कर पाते हैं।
हमारे शिक्षा मंत्री से विनती हैं कि वो बच्चों की शिक्षा में मूलभूत बदलाव लाए ,सबसे पहले शिक्षा मंत्री को यह सोचना चाहिए कि जो बच्चों को शिक्षा दी जा रही हैं ,वो उनकी जिंदगी में रोजगार के लिए काम आती भी हैं या नहीं ,जिससे बच्चा अपने जीवन मे बिना सहारे के आगे बढ़ सकें।
भारत जैसे विकासशील देश में आज के समय शिक्षा धंधेबाजी हो गई है कोई क्रियेटिविटी नही,कोई एक्टिविटी नही कोई बच्चों को प्रोत्साहित या रिवॉर्ड नही केवल टेस्ट और एग्जाम लेने ओर अंत मे एक रिजल्ट कार्ड दे कर अपने कर्तव्यों की पूर्ति कर रहे हैं।
इनकी शिक्षा के रटन्तु शिक्षा हैं जो बच्चा जितना रटने मैं माहिर हैं वह उतना ज्यादा होशियार मान लिया जाता हैं।
हमारे भारत देश मे एक ही कमरे में लगभग 4,5 क्लासे लगती हैं और उन्हें पढ़ाई के बारे मे अच्छा समझाया नही जाता हैं अगर बच्चों की शुरू की नीव ही कमजोर रह जाती हैं तो ऊपर बढ़कर बच्चे क्या कामयाब हो सकते हैं।
इसी वजह से बच्चों को अपने माता पिता को छोड़कर दूसरे देशों में अच्छी शिक्षा लेने लिए जाना पड़ता हैं ,
अमीर लोग तो अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए बड़े बड़े हाई मॉडल स्कूलों में लागते हैं और जितनी भी फीस मांगते हैं दे देते हैं |
लेकिन गरीब परिवार के बच्चों को तो सरकारी स्कूलों में ही पढ़ना पड़ता हैं, क्योंकि उनके माता पिता के पास ज्यादा पैसा नही होता हैं अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ने के लिए नही भेज सकते हैं।
सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा दिक्कत तो यह हैं कि एक तो वहाँ पूरे शिक्षक नही होते हैं, अगर किसी स्कूल में शिक्षक पूरे होते हैं तो वे बच्चों को अच्छी शिक्षा नही देते हैं इसी वजह से बच्चे अच्छी पढ़ाई नही कर पाते हैं।
हमारे शिक्षा मंत्री से विनती हैं कि वो बच्चों की शिक्षा में मूलभूत बदलाव लाए ,सबसे पहले शिक्षा मंत्री को यह सोचना चाहिए कि जो बच्चों को शिक्षा दी जा रही हैं ,वो उनकी जिंदगी में रोजगार के लिए काम आती भी हैं या नहीं ,जिससे बच्चा अपने जीवन मे बिना सहारे के आगे बढ़ सकें।
भारत जैसे विकासशील देश में आज के समय शिक्षा धंधेबाजी हो गई है कोई क्रियेटिविटी नही,कोई एक्टिविटी नही कोई बच्चों को प्रोत्साहित या रिवॉर्ड नही केवल टेस्ट और एग्जाम लेने ओर अंत मे एक रिजल्ट कार्ड दे कर अपने कर्तव्यों की पूर्ति कर रहे हैं।
इनकी शिक्षा के रटन्तु शिक्षा हैं जो बच्चा जितना रटने मैं माहिर हैं वह उतना ज्यादा होशियार मान लिया जाता हैं।
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